इस शृंखला में ४था प्रहर मतलब सुबह का तीसरा प्रहर। जैसे की पिछले एपिसोड में बात हुई थी के, पूरे १० से लेकर ४ बजे तक के दोनो प्रहारों को, “दोपहर” माना जाता है, तो यहाँ पर फिरसे कोमल गांधार प्रेरित रागों का प्रभुत्व रहता है। ख़ास तौर पर १ से ४ इस प्रहर में सारंग से ज़्यादा काफ़ी राग से उद्रित रागों का प्रयोग शुरू हो जाता है। याने के काफ़ी ठाठ का सबसे प्रमुख राग है राग काफ़ी। काफ़ी से आता है भिमपालसी। भिमपालसी से आता है राग पटदीप।